Sunday, 17 September 2017

देश के सबसे बड़े सिपाही "मार्शल अर्जन सिंह " को पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, सोमवार को होगा अंतिम संस्कार



भारतीय वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार को निधन हो गया. वह 98 वर्ष के थे। अर्जन सिंह को शनिवार सुबह सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था। 

अर्जन सिंह को जब वायुसेना प्रमुख बनाया गया था तब वो महज 44 साल के थे। और आजादी के बाद पहली बार लड़ाई में उतरी वायुसेना की कमान अर्जन सिंह के हाथ में ही थी। 

आपको बता दे की सोमवार के दिन मार्शल अर्जन सिंह के सम्मान में राजधानी की सभी सरकारी इमारतों पर लगा राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया जाएगा गृहमंत्रालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। 

वैसे तो मार्शल अर्जन सिंह के बारे में जितना लिखा जाय उतना कम होगा पर फिर भी हम अपने पढ़ने वालो को उनके बारे में कुछ बाते बताना चाहेंगे जिस पढ़कर अगर आप के अंदर भी जोश न भर जाए तो कहियेगा। 

19 साल की उम्र में पायलट ट्रेनिंग के लिए चयन 




मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को पंजाब के लायलपुर (जो अब फैसलाबाद, पाकिस्तान में है ) हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा पाकिस्तान के मोंटगोमरी से पूरी की थी। अर्जन सिंह महज 19 साल की उम्र में पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चुने गए थे। मार्शल अर्जन सिंह का जन्म एक सैनिक परिवार में हुआ था उनके पिता रिसालदार थे वो एक डिवीज़न कमांडर के एडीसी के रूप में सेवा प्रदान करते थे। 

1944 में स्क्वॉड्रन लीडर बनाया गया उन्होंने अराकान कैम्पेन के दौरान जपानियों के खिलाफ टीम का नेतृत्व किया। आजादी के बाद 15 अगस्त 1947 को अर्जन सिंह को दिल्ली के लाल किला के ऊपर से 100 IAF एयरक्राफ्ट के फ्लाई पास्ट का नेतृत्व करने का मौका मिला। 

1949 में उन्होंने एयर ऑफीसर कमांडिंग ऑफ़ ऑपरेशनल कमांड का जिम्मा संभाला। इसे ही बाद में वेस्टर्न एयर कमांड कहा गया। 

1965 में जब पहली बार वायुसेना ने जंग में हिस्सा लिया तो अर्जन सिंह ही वायुसेना प्रमुख थे। उनके नेतृत्व में ही वायुसेना ने महज 26 मिनट में ही पाकिस्तानी फौज पर  हमला बोला था। 

अर्जन सिंह को 2002 में वायुसेना का पहला और इकलौता मार्शल बनाया गया वो वायुसेना के पहले 5 स्टार रैंक अधिकारी बने।  1965 की जंग में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा। 

1965 में ही उन्हें पदम् विभूषण से भी सम्मानित किया गया. उन्होंने भारतीय वायुसेना को सशक्त बनाने में अहम् भूमिका अदा की और विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना बनाया। 

सिंह ने दिल्ली के पास अपने फार्म को बेचकर 2 करोड़ रूपए ट्रस्ट को दिए जो सेवानिवृत वायुसेना कर्मियों के कल्याण के लिए बनाया गया था अर्जन सिंह दिसंबर 1989 से दिसंबर 1990 तक दिल्ली उपराज्यपाल भी रहे। 





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